पटना। द न्यूज़।( विद्रोही)। देश मे नरेंद्र मोदी की भले ही धूम हो पर बिहार में उनकी पार्टी की रणनीति नीतीश कुमार के समक्ष कुछ खास नहीं चल रही है। नीतीश कही मायने में बीजेपी और बीस पर रहे हैं। इस बात का एहसास प्रदेश भाजपा के नेताओं को है। नीतीश की ताजा चाल बहुत दूरगामी है। ये चाल है बिहार के पूर्व डिजेपी गुप्तेश्वर पांडेय को अपनी पार्टी में शामिल करना। जदयू का ये कदम भाजपा के वोट बैंक में सेंधमारी से कम नहीं है। प्रदेश के 9 फीसदी ब्राह्मणों को नीतीश ने संदेशा भेजा है। ये उनदिनों के लिए जदयू के लिए ज्यादा फलदायी होगा जब जदयू की राहें भाजपा से अलग होगी।
जदयू ने यहां एक तीर से कई निशाने साधे हैं। भाजपा यह जो समझती है कि ब्राह्मणों पर उनका अधिक प्रभाव है वह परसेप्शन कमजोर होगा। जदयू एकल चल की भी राह तलाश रहा है। जीतनराम मांझी, गुप्तेश्वर पांडेय, लालू के समधी चंद्रिका राय सभी जदयू के लिए रन बटोरेंगे। भाजपा को ये बातें कुछ समय बीतने के बाद फील होगी।
पूर्व डीजेपी गुप्तेश्वर पांडेय को भी सही ठौर मिल गया है। चुनाव लड़ने में जदयू के सोशल इंजिनीरिंग उनके काम आएगा। पांडेय की जदयू में शामिल करने का मामला ही या सीट बंटवारे का मामला जदयू के बीजेपी से बीस रहने की उम्मीद है। एक दो दिनों में ये फैसला भी हो जाएगा।