चुनाव : सपने दिखाने के मौसम

राजनीतिक दल चुनाव सिर पर आते ही नए-नए सपने बुनने की तयारी में जुट गए हैं. कुछ दल तो अभी से सपने छोड़ने शुरू कर दिए हैं. चुनाव के अगले चार महीने में आपकी सारी समस्याएं समाप्त हो जाएंगी. गरीबों को रोटी मिल जाएगी. तन ढक जायेगा. मकान की व्यवस्था हो जाएगी. बेरोजगारों को नौकरी मिल जाएगी. सारी खुशियों का इंतजाम हो जायेगा. जो दल आपको जितना लुभा देगा वोट वहीँ जायेगा .

इसमें सपने दिखने वाले राजनितिक दल का भी कोई दोष नहीं है . उन राजनीतिक दलों में भी प्रतियोगिता बहुत है और इस सपने दिखाने कि प्रतियोगिता में कोई दल पिछड़ना नहीं चाहता है. ऐसे में जनता को भी समझदारी दिखानी होगी. आप अपने को तौलिये. आखिर किस दल से आपको क्या मिला? आपके परिवार को क्या मिला? किसी जनप्रतिनिधि या विधायक , संसद या मंत्री से आपको क्या मिला? दूसरी तरफ यह भी देखिये जिसने आपको हर बार सपने दिखाए उसके जीवन स्तर में कितना उछल आया और आप कहां रह गए. वोट देना सही में मजबूरी है पर आप सब कब तक मजबूर हो कर धोखा खाते रहेंगें. अब आप सब एकजुट होकर हिम्मत कीजिये. हिम्मत कीजिये उन नेताओं से अपना हक़ मांगने के लिए. आप अपने लिए क्या एग्रीमेंट कर सकते हैं वो सोचिये. कुछ अपने लिए ठोस सोचिये. जो आपको देने कि हैसियत रखेगा वही आपका वोट लेगा.