अकबर के शासन में अकेले बिहार ने बोला ‘बोल बम’ ‘बोल बम’।

पटना( पटना)। बिहार ने देश के कई क्षत्रपों का गुरुर तोड़ा है। मुगलिया शासन में जब पूरे भारत वर्ष में अकबर (1556-1605) की तूती बोल रही थी। उसी समय देवघर के बैद्यनाथ धाम में बाबा के मंदिर का निर्माण (1596) कर बोल बम के नारे से मुगलिया शासन के समक्ष अपनी एकता प्रदर्शन की। एक तरफ अकबर की सेना राजस्थान, अहमदनगर और दक्षिण भारत को फतह करने में जुटी थी तो दूसरी तरफ हजारों श्रद्धालु बोल बम के नारे से बैद्यनाथ धाम में भोले शंकर का परिक्रमा कर रहे थे। ध्यान रहे मंदिर के अंदर शिव ज्योतिर्लिंग का त्रेता युग से इतिहास है।

बिहार के पराक्रमी योद्धाओं में हेमू का नाम जिस अंदाज में लिखा जाना चाहिए उस अंदाज में इतिहासकारों ने नहीं लिखा है।आदिल शाह सूरी का बिहार में वजीर/सेनापति हेमू ने मुगलिया शासन की चूलें हिला दी थी। हेमू ने बंगाल, कालपी, नारनौल से मुग़लों को खदेड़ दिया और तुगलकाबाद (दिल्ली) में टर्की बेग को हराकर दिल्ली की गद्दी पर जा बैठा। तब उसके नाम सुनकर आगरा से मुग़ल सेना भाग खड़ी हुई। आगरा को भी हेमू ने मुग़लों से छीना। दिल्ली की गद्दी पर बैठकर हेमू ने अपने नाम के आगे हेमचंद्र विक्रमादित्य लगाया। 23 जुलाई 1555 में दिल्ली की गद्दी पर बैठनेवाला वह देश का अंतिम हिन्दू सम्राट था। वह गौर ब्राह्मण जाति से था। इतिहासकारों ने उसे धूसर समाज का माना है जो गौर ब्राह्मण की उप जाति है। वह संस्कृत का अच्छा ज्ञाता था। अकबर के अधीन पानीपत की दूसरी लड़ाई (1556) में मुग़लों ने उसे छल में मार डाला। इतिहास में जिक्र है कि वह जीत के करीब था। मुग़लों ने राजपूत राजाओं को ढाल के रूप में इस्तेमाल किया। हल्दी घाटी के युद्ध (1572) में अकबर ने अपनी तरफ से मान सिंह को ढाल बनाकर राणा प्रताप सिंह को हराया। अकबर ने मुग़ल-राजपूत गठबंधन कर बिहार, बंगाल, राजस्थान से लेकर कंधार तक विस्तार किया।1562 में अम्बेर के राजा भारमल ने अपनी बड़ी पुत्री की शादी अकबर से कर दी। ये अकबर की राज्य विस्तार की कूटनीति थी और इसमें वह सफल भी हुआ।हालांकि अकबर धर्म सहिष्णु और धर्म निरपेक्ष था।

नहीं सके।